चित्रकूट में तैनात सचिवों ने मचाई लूट, बना डाली करोड़ों की चल-अचल सम्पत्ति

चित्रकूट। कर्वी ब्लाक में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी मान सिंह, सचेन्द्र सिंह, श्रीश्याम व शिवम सिंह की मनमानी खूब देखने को मिल रही है। जो अपने तैनाती गांवों में विकास कार्यों के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार करते दिखाई दे रहे हैं।
मंगलवार को कर्वी ब्लाक के सचिवों के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है।

ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर मनरेगा योजना से कराए कार्यों में जमकर धांधली की कर राज्य वित्त आयोग व चैदहवें वित्त व पंद्रहवें वित्त आयोग की धनराशि को मनमानी ढंग से ठिकाने लगाया जा रहा है। मनरेगा योजना से कराए डब्ल्यूबीएम रोड़ निर्माण कार्य, मेडबंडी व समतलीकरण व तालाबों की खुदाई के नाम पर जमकर धांधली की गई है। राज्य वित्त आयोग व पंद्रहवें वित्त आयोग की धनराशि को हैंडपंप रीबोर व हैंडपंप मरम्मतीकरण के नाम पर खूब लीपापोती की गई है। टैंकर से पानी आपूर्ति के नाम पर फर्जी ढंग से भुगतान किए गए हैं। विद्यालयों के मरम्मतीकरण के नाम पर लीपापोती की गई है।

सदर ब्लाक कर्वी में तैनात इन सचिवों की नियुक्ति दिसंबर 2016 में हुई थी, लेकिन इन सचिवों ने ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के नाम पर धांधली करते हुए करोड़ों रुपए की चल-अचल सम्पत्ति के मालिक बन बैठे हैं। इन सचिवों में सबसे पहले नंबर पर शिवम सिंह का नाम आता है। जो कुछ ही सालों में करोड़ो रुपए की चल-अचल सम्पत्ति बना ली है।

सूत्रों ने बताया कि शिवम सिंह अपनी चारपहिया बुलेरो गाड़ी को खण्ड विकास अधिकारी के यहां लगाए हैं। जिसके चलते खण्ड विकास अधिकारी की छत्रछाया भी सचिव पर बनी है। ग्राम पंचायत अधिकारी मान सिंह व सचेंद्र सिंह के भ्रष्टाचारी कारनामें चर्चा का विषय बने हैं। जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की मेहरबानी खूब बरस रही है। जिसके चलते ये सचिव अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। ग्राम पंचायत अधिकारी मान सिंह के तैनाती हरिहरपुर, भारतपुर, बैहार व टिटिहरा व पहरा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार की हदें पार कर दी है। ग्राम पंचायत अधिकारी सचेंद्र सिंह ने ग्राम पंचायत पुरवा तरौंहा, कपसेठी व रानीपुर भट्ट में विकास कार्यों के नाम पर खूब धांधली की है। सचिव श्रीश्याम ने ग्राम पंचायत कहेटा माफी, सकरौली व दुबारी ग्राम पंचायत में जमकर भ्रष्टाचार किया है।

ग्राम पंचायत अधिकारी शिवम सिंह ने ग्राम पंचायत शिवरामपुर समेत अन्य कई ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर जमकर धांधली करते हुए सरकारी धन का बंदरबाट किया है। इन ग्राम पंचायत अधिकारियों ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत बनवाए शौचालयों के निर्माण में भी धांधली की है। ज्यादातर शौचालयों का निर्माण कार्य नहीं कराया गया है। फर्जीवाड़ा से भुगतान निकला लिया है। बिना शौचालय निर्माण के ग्राम पंचायतों को ओडीएफ कर दिया गया है।

मजे की बात ये है कि ग्राम पंचायत अधिकारी सरकार के जीरो टॉलरेंस को चुनौती देते हुए सरकारी धन को ठिकाने लगा रहे है। इनके भ्रष्टाचार की शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों से करने पर भ्रष्टाचार को छिपाने को मोटी रकम वसूलकर शिकायत ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से ग्राम पंचायत अधिकारियों के तैनाती गांवों में कराए विकास कार्यों की जांच कराकर कार्यवाही की मांग की है।

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