विकास दुबे एनकाउंटर के बाद ब्राह्मण वोटर योगी के खिलाफ?

यूपी का कुख्यात अपराधी और कानपुर पुलिस के 8 पुलिसकर्मियों का हत्यारा विकास दुबे यूपी एसटीएफ के हाथों मारा गया। अब पुलिस विकास दुबे के साथियों और उसे पनाह देने वाले की तलाश में जुटी है। पुलिस को विकास के घर से असलहा, बारूद, और AK-47 जैसे खतरनाक हथियार भी बरामद हुए हैं। उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार करने बाद माना जा रहा था कि विकास दुबे का एनकाउंटर नहीं होगा। लेकिन, पुलिस ने इन कयासों को फेल करते हुए उसका एनकाउंटर कर दिया। इसके बाद देश में एक नई तरह की बहस शुरू हो गई कि जब विकास दुबे ने सरेंडर कर दिया था तो उसका एनकाउंटर क्यों किया गया? 


उत्तर प्रदेश की सियासत में जातीय समीकरणों का बोलबाला हमेशा से रहा है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद एक बार फिर प्रदेश में जातिगत राजनीति को हवा मिली है। विकास दुबे के एनकाउंटर को उसके ब्राह्राण होने से भी जोड़ा जा रहा है। इन बहसों में ये भी कहा जा रहा है कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान ब्राह्मणों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है।

विकास दुबे एनकाउंटर के बाद कई लोगों ने उसके मरने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है तो कई लोगों ने कहा अच्छा हुआ अपराधी मारा गया। चूंकि जिस तरीके से विकास दुबे के एनकाउंटर को अंजाम दिया गया उससे बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण योगी सरकार से नाराज हो गया है। लोगों ने सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर एक वर्ग समुदाय ने विकास दुबे को ‘ब्राह्मण टाइगर’ का खिताब दे दिया। वहीं इन सबके बीच कई लोगों ने सोशल मीडिया पर सीएम योगी की सरकार गिराने तक की धमकी तक दे डाली है। कहा जा रहा है कि “तुम गाड़ी पलटाओ, हम सरकार पलटेंगे”…।
 

जितिन प्रसाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं जो खुद एक ब्राह्मण संगठन चलाते हैं। उन्होंने एक पत्र जारी कर आरोप लगाया कि मौजूदा योगी सरकार में लगातार ब्राह्मणों की हत्याएं हुई हैं। जितिन ने पत्र में लिखा है कि ब्राह्मण उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर कार्रवाई के बजाय इस सरकार में उनको संरक्षण दिया जा रहा है। उधर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की।

राजीव ओझा लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं और प्रदेश की राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं। पत्रकार ओझा के मुताबिक अपराधी की कोई जाति नहीं होती। बिकरू कांड में शहीद होने वाले डीएसपी और थानाध्यक्ष भी ब्राह्मण थे और अपराधी विकास दुबे की मुखबरी करने वाला भी ब्राह्मण था तो यह यह सिर्फ एक संयोग है और इस मामले को जाति से जोड़कर राजनीतिक हितों के चलते तूल दिया जा रहा है।

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