पछुआ हवा की मार से घटेगी गेहूं की पैदावार

जौनपुर। पिछले तीन दिनों से जनपद में चल रही तेज पछुआ हवाओं से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिचने लगी हैं।जिन किसानों ने समय से गेहूं की बुआई की थी उनमें अब बालियां निकलने लगी हैं। सामान्य तापमान में वृद्धि होने से और तेज पछुआ हवाओं के चलने के कारण खेत की नमी तेजी से सूख रही है जिस कारण किसान खेतों की सिंचाई कर रहे हैं।
सिंचाई करने से गेहूं की जड़ों की मिट्टी पर पकड़ कमजोर हो जा रही है और सुबह से चल रही तेज हवायें फसल को जमीन पर लेटा दे रहीं हैं। ये हवायें न केवल गेहूं बल्कि सरसों की फसल के लिए भी हानिकारक हैं।जिन खेतों में गेहूं की फसल में बालियां निकल आई हैं ।उनमें दाने मिल्की स्टेज में हैं। तापमान अधिक होने और तेज पछुआ हवाओं के कारण बालियों का दूध सूख जाने का डर रहता है, जिस कारण दाने कमजोर हो जाते हैं और पैदावार घट जाती है। गेहूं की जो फसल देर से बोई गई है बढ़ा तापमान और तेज हवायें उन्हें भी नुकसान पहुंचायेगी क्योंकि ऐसे गेहूं की फसल का पूरी तरह विकास नहीं होगा और जल्द ही बालियां निकल आयेंगी।सोमवार को सुबह से ही तेज हवाओं का चलना शुरू हो गया था।
सुबह कुछ गलन थी लेकिन जैसे -जैसे दिन चढ़ता गया हवा की गलन दूर हो गई। ग्रामीण इलाकों के खाली मैदानों में धूल के गुब्बार उठना शुरू हो गये हैं।यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का दृश्य है जहां सिंचाई के पश्चात किसान मायूस नजर से गेहूं की लोटी फसल को देख रहे हैं।इस सम्बन्ध में बामी के अनुभवी किसान प्रेमचंद प्रजापति कहते हैं कि सुबह खेत की सिंचाई से बचना चाहिए और शाम को जब हवा की गति धीमी हो जाये तो फसल की हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
सिचाई प्रबंधन के अनुसार किसानों ने फसलों की पर्याप्त सिचाई कर दी है अब वे अंतिम सिचाई के सहारे ही फसल तैयार कर रहे हैं। यदि पुरबइया चलती रहती है तो अंतिम सिचाई की नमी गेहूं के दाने को पूरी तरह पोषित करती है, लेकिन अब पछुआ हवा ने नमी सोख ली है। इससे गेहूं के दाने का वजन कम होगा। यदि किसान अब सिचाई भी करत देते हैं तब भी कोई फायदा नहीं है। क्योंकि, सिचाई एक सीमित दायरे तक होती है। गेहूं की बालियों में दाने भी कच्चे हैं। पछुआ हवा से दाने सूख जाएंगे और निश्चित ही पैदावार कम होगी।
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