लखनऊ में स्वच्छ विरासत अभियान की ख़ुली पोल, हजरतगंज के बींचो बीच मौजूद ये विरासत हो रही गुम

लखनऊ। राजधानी के विश्वप्रसिद्ध बाजार हजरतगंज का नाम जिन नवाब अमजद अली शाह के जरिये से पड़ा है,उनका मकबरा आज उसी हजरतंगज के बीचों बीच बेनामी के अंधेरे में गुम है। कभी-कभी शियाओं के त्यौहारों,जलसों और शादियों की वजह से इसकी वीरानी कुछ देर टूटती है और फिर यह उसी गुमनामी में गायब हो जाता है।

अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के पिता अमजद अली शाह को ‘हजरत’ के नाम से पुकारा जाता था और इसलिए इस इलाके का नाम हजरतगंज पड़ गया। बाद में अंग्रेजों ने अपनी सल्तनत के दौरान हजरतगंज में बहुत से बदलाव किए लेकिन हजरतगंज का नाम आज भी लोगों की जुबान पर वैसे ही चढ़ा हुआ है। अव्यवस्था का आलम ये है कि अमजद अली शाह के मकबरे का जो सरकारी बोर्ड भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने लगा रखा है उसका इस्तेमाल अगल-बगल के लोग गीले कपड़े सुखाने के लिए कर रहे हैं। इतना ही नहीं नगर निगम का एक सफाईकर्मी बाहर से कूड़ा गाड़ी लाकर इमामबाड़े के बाहर बने पार्क के निकट पलटकर चला गया। पता चला कि लखनऊ की रवायत और विरासत के इस शानदार स्थल को लखनऊ नगर निगम के सफाईकर्मियों ने पूरे इलाके का सुविधापूर्ण कूड़ा डम्पिंग स्थल बना रखा है जबकि यह ऐतिहासिक इमामबाड़ा लखनऊ नगर निगम मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर मौजूद है।

सरकारी ढोल पीटकर चलाये जा रहे स्वच्छ विरासत अभियान के अंतर्गत लखनऊ के ऐतिहासिक भवनों को साफ-सुथरा करने का उद्देश्य इन स्थानों से कूड़ा हटाकर साफ करना बताया जा रहा है लेकिन यहां तो बाहर का कूड़ा लाकर इमामबाड़ा परिसर में ही ढेर करने की कवायद चल रही है। मौके पर मौजूद इमामबाड़ा प्रबंधन समिति के सदस्य मोबीन ने जानकारी दी कि इस ऐतिहासिक भवन के आसपास का पुराना इलाका अतिक्रमण का शिकार है और कुछ कहने पर सरकारी अधिकारी बात नहीं सुनते। इतने महत्वपूर्ण स्थल पर किसी सरकारी होमगार्ड या पुलिसकर्मी की तैनाती न होना भी समझ के परे है।

बाद में सिब्तैनाबाद इमामबाड़े के प्रबंधक शमील शमसी से मुलाकात हुई तो लखनऊ की इस ऐतिहासिक विरासत की मौजूदा बदहाली के कई कारण पता चले जिनमें लखनऊ विकास प्राधिकरण की मनमानी से लेकर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के भीतर फैले भ्रष्टाचारों तक के किस्से जाहिर हुए। अब देखना यह है कि स्वच्छ विरासत अभियान के शोरशराबे का असर सिब्तैनाबाद इमामबाड़े के भीतर कब पहुंचेगा और आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम की सैकड़ों कहानियां समेटे यह ऐतिहासिक इमामबाड़ा दोबारा अपने शानदार वजूद के साथ साफ-सुथरा नजर आयेगा।

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