पहले नाले में फेंक देते थे केले के तने, अब उसी से बन रहा उम्मीदों का ताना बाना

सुलतानपुर। केले के तने से रेशा निकालकर उससे चोटी बनाकर हैण्डलूम मशीन के ताने पर महिलाएं बुनाई करते हुए खुशी से झूम रही है क्योंकि उनकी उम्मीदों को पंख लग चुका है। गौरतलब हो कि नाबार्ड के सहयोग से ओंकार सेवा संस्थान द्वारा सिंहपुर मे आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत समूह की महिलाओं को केला रेशा निष्कर्षण पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
जिसमे प्रतिदिन अलग अलग तरह का हुनर उन्हे सिखाकर काबिल बनाने का काम लखीमपुर खीरी से आई प्रशिक्षिका बाल कुमारी और प्रेमवती राणा तथा रवि प्रसाद के द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम समन्वयक सूर्य कुमार त्रिपाठी ने कहा कि हैण्डलूम पर बनाई करते हुए महिलाओ की खुशी देखते ही बन रही है क्योंकि केला रेशा से निर्मित उत्पादों की माँग बहुत है और यह हमारी त्वचा के लिए बहुत ही लाभदायक है। जिन लोगों को त्वचा सम्बंधित रोग होते है डॉ लोग उन्हे केला रेशा से निर्मित वस्त्र पहनने की सलाह देते है। सिंहपुर विकास खण्ड मे लगभग सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल मे केले कि खेती की जाती है।
केला कटने के उपरांत उसका तना किसान सड़क के किनारे या नाले मे फेंक देता है और जिसमे उसका श्रम और पैसा तथा समय सबकी हानि होती है। उपरोक्त प्रशिक्षण से किसान को केले के तने से आमदनी के साथ साथ उसका समय पैसा और श्रम भी बचेगा तथा आस पास केला रेशा की बाजार भी विकसित होगी। तिलोई के प्रगतिशील कृषक इंजीनियर वी के सिंह जो कि कोविड के दौरान गम्भीर रूप से बीमार हुए और अपनी नौकरी छोडकर घर आ गये अब वह तीस एकड़ मे केले की खेती कर रहे है आज प्रशिक्षण देखकर बहुत खुश हुए और बोले कि फसल कटने के बाद तना हमारे लिए चिंता का सबब बना रहता था। किन्तु अब हमे इससे अतिरिक्त आमदनी होगी अन्तर्राष्ट्रिय बाजार मे केला रेशा निर्मित उत्पादो की बहुत मांग है,इसके निष्कर्षण के समय तने जो पानी निकलता है उसमे बहुत सारे पोषक तत्व पाये जाते है जो कि रसायन मुक्त खेती के लिए इनपुट का काम करता है।
नवसारी कृषि विश्वविद्यालय गुजरात इसी पानी की खाद को निर्यात कर रहा है। उपरोक्त प्रशिक्षण मे उसी तकनीकी से तरल खाद बनाई जा रही है तथा ठोस बचे पदार्थ से जैविक खाद भी बनेगी। प्रशिक्षण मे संगीता वर्मा, सन्जू वर्मा, आरती रावत सुशीला, अंजालि सिंह, आराधना सिंह तथा बीएमएम भूपेन्द्र सिंह, संस्थान के चंद्र प्रकाश, ड़ॉ शशि शेखर त्रिपाठी सहित सभी महिलाएं उपस्थित रही।
Tag: #nextindiatimes #bms #technique #women #training #banana #tree #handloom #market #covid