कोरोना योद्धा सम्मान निधि की खुली पोल

भोपाल। भोपाल में वर्ष 2020 और 2021 में ड्यूटी के दौरान कोरोना के कारण सिर्फ सात अधिकारियेां, कर्मचारियों की मौत हुई। इनमें तीन महिला और चार पुरुष कर्मचारी शामिल हैं। मृत कर्मचारियेां में पांच महिला-बाल विकास विभाग के और दो पुलिस विभाग के थे। कोरोना काल में सरकार ने इन कर्मचारियों को कोरोना योद्धा माना था।

खास बात यह है कि सात में से सिर्फ दो कर्मचारियों के परिजनों को 50-50 लाख रुपए की कोरोना योद्धा सम्मान निधि मिली है। यह जानकारी कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के लिखित जवाब में राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने विधानसभा में दी। बताया गया कि ड्यूटी के दौरान प्रदेश में 325 अधिकारियों, कर्मचारियों की मौत हुई। सरकार ने ड्यूटी के दौरान कोरोना के कारण मृत कर्मचारियों को जिलावार सूची तैयार की है। बड़े शहरों में से भोपाल में सात, इंदौर में आठ, ग्वालियर में दो और जबलपुर में आठ कर्मचारियों की मौत हुई है।

मंत्री राजपूत ने बताया कि कोरोना से सबसे ज्यादा 36 कर्मचारियों की मौत टीकमगढ़ जिले में हुई है। अशोकनगर में 30, उज्जैन में 28, शहडोल में 27, सिवनी में 19, रतलाम में 19, खरगोन में दस, विदिशा में दस, मंदसौर में दस कर्मचारियों की ड्यूटी के दौरान कोरोना से मौत हुई। सात जिलों में एक भी कर्मचारियों की मौत नहीं : भिंड, गुना, बुरहानपुर, उमरिया, सतना, सीधी और आगर मालवा जिले में ड्यूटी के दौरान कोरोना से एक भी कर्मचारी की मौत नहीं हुई।

सिर्फ 71 के परिजनों को मिली कोरोना योद्धा सम्मान निधि:

विधायक प्रताप ग्रेवाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने कोरोना काल के कर्मचारियों की मौत के झूठे आंकड़े दिए हैं। मृत कर्मचारियों की यह संख्या असली आंकड़ों की आधी से भी कम है। कोरोना में 152 पुलिसकर्मियों की ही मौत हुई थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने ड्यूटी के दौरान मृत सहकारी कर्मचारियों को कोरोना योद्धा माना था। इन कर्मचारियों के परिजनों को पचास-पचास लाख रुपए देने की घोषणा की थी। सरकार ने 325 मृत कर्मचारियों में से सिर्फ 71 परिजनों को पचास-पचास लाख रुपए की कोरोना सम्मान निधि दी है।

बाकी के कोरोना योद्धाओं के परिजनों को अभी तक कोरोना सम्मान निधि के 50 लाख रुपए नहीं मिल पाए। इनमें से 168 कर्मचारियों के परिजनों के आवेदनों को राजस्व विभाग ने राहत आयुक्त ने रिजेटक् कर दिया, क्योंकि ये आवेदन 18 बिंदुओं के पैरामीटर को पूरा नहीं करते थे। 33 मामलों में उनके बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति दी गई, जबकि अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान तो पहले से ही है। बाकी 30 कर्मचारियों के परिजनों ने ओवदन नहीं किया। इस तरह से सरकार के पास सिर्फ 23 मामले पेंडिंग हैं।

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