जानें 10 दिनों तक क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी, किसने शुरू की थी परंपरा

डेस्क। गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। वैसे तो देश भर में इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है लेकिन महाराष्ट्र, गोवा जैसे राज्यों में इसकी अलग ही धूम नजर आती है। यहां कई दिनों पहले से बप्पा के आगमन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
गणेश चतुर्थी के पर्व के लिए अलग-अलग थीम के पंडाल तैयार किए जाते हैं और गणपति की बड़ी-बड़ी मूर्तियां तैयार की जाती हैं। भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में 10 दिनों का उत्सव मनाया जाता है जो गणेश चतुर्थी से शुरू होता है। गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा को घर लाया जाता है और 10 दिनों तक विधि विधान से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन कर दिया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी।
मान्यता है कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर ही रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। माना जाता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाने के पीछे यह कथा मिलती है कि वेद-व्यास जी ने गणेश भगवान से महाभारत ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की तो गणपति जी 10 दिनों तक बिना रुके महाभारत लिखते रहे। जब वेद-व्यास जी ने देखा तो पाया कि गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ा हुआ है और 10वें दिन उन्हें नदी में स्नान करवाया। तभी से गणेश चतुर्थी की शुरुआत मानी जाती है।
गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई थी। गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है। मान्यता है कि भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी। छत्रपति शिवाजी द्वारा इस महोत्सव की शुरुआत करने के बाद मराठा साम्राज्य के बाकी पेशवा भी गणेश महोत्सव मनाने लगे।
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