हाथरस कांड: फैसले से संतुष्ट नहीं पीड़िता का परिवार, अब यहां ट्रांसफर कराना चाहते हैं केस

हाथरस। हाथरस मामले में एक आरोपी को उम्रकैद की सजा और पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। बाकी तीन आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया है। सजा पाए व्यक्ति को भी बलात्कार नहीं, बल्कि गैर-इरादतन हत्या और अनुसूचित जाति-जनजाति कानून के तहत दोषी पाया गया है। हाथरस मामले में आए फैसले को लेकर पीड़िता के परिजनों में असंतोष दिखाई दे रहा है।

दलित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा कहती हैं कि हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि अन्य तीन (जो निचली अदालत से बरी हो चुके हैं) भी दोषी ठहराए जाएंगे। यह अजीब है कि सीबीआई ने 376-डी (सामूहिक बलात्कार) और 302 (हत्या) सहित अन्य कठोर धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की थी। फिर भी यह फैसला आया है।

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पीड़ित परिवार मामले को यूपी के बाहर स्थानांतरित कराना चाहते हैं। उन्होंने आशा जताई है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट उनकी याचिका को स्वीकार करेगा। पिता ने कहा कि हमारे साथ गलत हुआ है। हम इस मामले में हाई कार्ट में लड़ेंगे। बस, हमें न्याय मिल जाए, हमें केवल न्याय चाहिए। हाथरस गांव में पीड़ित परिवार का कहना है कि हम सचमुच अपने ही घर में जेल में बंद हैं। पीड़िता के पिता कहते हैं कि हमारी सुरक्षा के कारण ऐसा महसूस होता है। दरअसल, पीड़ित परिवार की सुरक्षा में लगभग 30 सीआरपीएफ कर्मी लगे हैं। वे बंदूकें और आंसू गैस के गोले वाले यंत्रों के साथ यहां तैनात किए गए हैं। घर के चारों ओर कंटीले तारों की बाड़ भी लगा हुआ है। एक मेटल डिटेक्टर हर समय आने-जाने वालों की निगरानी के लिए लगा हुआ है। सीसीटीवी लगातार और बिना पलक झपकाए उनके घर की निगरानी करता है।

गौरतलब है कि करीब ढाई साल पहले हाथरस में अनुसूचित जाति की एक लड़की के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे जान से मारने का प्रयास किया गया था। दिल्ली के एक अस्पताल में उसका इलाज चला, मगर उसे बचाया नहीं जा सका। उस मामले को लेकर लोगों में खासा आक्रोश दिखा था। लड़की की मौत के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीड़िता के परिवार की इजाजत के बगैर आधी रात को चुपके से उसका दाह संस्कार कर दिया था।

बरी किए गए तीनों लोगों के परिवार के सदस्यों को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की सलाह के बाद रिश्तेदारों के घर भेज दिया गया है। 450 पंजीकृत वोटरों के साथ ठाकुर गांव का सबसे बड़ा समुदाय है। यहां पर ब्राह्मण दूसरी सबसे बड़ी जाति है। पीड़िता वाल्मीकि समुदाय से थी। गांव में इनकी संख्या काफी कम है। गांव में केवल तीन परिवार वाल्मीकि समुदाय से हैं। सभी एक- दूसरे से जुड़े हुए हैं।

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