बजट का संदेश

बजट का संदेश
हरियाणा सरकार के मंगलवार को पेश नये करों से मुक्त बजट पर सरसरी नजर डालने पर उसमें आगामी चुनावी रणनीतियों की छाया नजर आती है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में अभी तकरीबन ढाई साल बाकी हैं, लेकिन कहीं न कहीं निकट भविष्य में होने वाले निकाय व पंचायत चुनावों के लिये गठबंधन सरकार कमर कसती नजर आती है। निस्संदेह, जब नये करों की बात न हो और तोहफों की सौगात हो तो चुनाव की आहट महसूस होती है। पहली बार महिला दिवस पर पेश बजट में महिलाओं के लिये पुरस्कार से लेकर आवास तक की बात हुई, उनके उद्यमों के उद्धार की बात हुई जो बताता है कि हरियाणा की राजनीति को महिलाएं भी प्रभावित करने लगी हैं। वहीं दूसरी ओर स्थानीय निकायों तथा ग्राम पंचायतों का बजट व अधिकार बढ़ाकर संकेत दिया गया है कि निकाय व पंचायत चुनावों के लिये गठबंधन सरकार ने कमर कस कर ली है। खेती-किसानी की तमाम सौगातों को भी इसी नजरिये से राजनीतिक पंडित देख रहे हैं। दरअसल, लंबे चले किसान आंदोलन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार को लेकर जो नाराजगी देखी जा रही थी उसे दूर करने के लिये किसानों के लिये सौगातों का पिटारा इस बजट में खोला गया। यह जरूरी भी है कि देश के अन्न भंडार संवर्धन में हरियाणा की विशिष्ट भूमिका रही है। कोरोना काल में कृषि क्षेत्र ने देश की अर्थव्यवस्था को जो ताकत दी है, उसके लिये किसान सम्मान व सुविधा का हकदार है। वहीं दूसरी ओर यूक्रेन संकट के बाद विदेशों में पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्रों की दुश्वारियां देखकर हरियाणा सरकार ने सबक लिया और राज्य में पंचकूला समेत पलवल, चरखी दादरी और फतेहाबाद में चार नये मेडिकल कालेज खोलने का स्वागतयोग्य फैसला लिया। साथ ही राज्य में नर्सिंग कालेज खोलने की भी बात कही गई है। कोरोना संकट में निजी चिकित्सकों ने जिस तरह मरीजों को उलटे उस्तरे से मूंडा और सरकारी अस्पताल जिस तरह हांफते रहे, उसने बताया कि राज्य के चिकित्सा तंत्र में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है।
बहरहाल, वित्तमंत्री के रूप में तीसरे बजट में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने हरियाणा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया। भले ही सरकार ने 1.77 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट में नये करों को शामिल नहीं किया, लेकिन राज्य के तीव्र विकास के लिये वित्तीय संसाधन जुटाने के लिये करों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह भी तब जब राज्य सरकार के वित्तीय घाटे में वृद्धि हुई है। पुराना अनुभव बताता है कि जिस भी राज्य व विभाग में लोकलुभावन व मुफ्त की नीति को अपनाया, कालांतर उसकी आर्थिक सेहत प्रभावित हुई है। वह भी तब जब देश कोरोना संकट के बाद पटरी पर लौट रहा है। वहीं, खेलों का राज्य बनते हरियाणा के पंचकूला में राष्ट्रीय खेल संस्थान की तर्ज पर सरकार द्वारा खेल अकादमी स्थापित करना स्वागतयोग्य है। सरकार को बेरोजगारी की गंभीरता को देखते हुए बड़े बदलावकारी कदम उठाने चाहिए थे। यह अच्छी बात है कि बजट में महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने की पहल की गई है, जो फिलवक्त में महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक सशक्तीकरण की अनिवार्य शर्त भी है। सरकार कोशिश करे कि निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिये अतिरिक्त प्रयास हों। किसान संस्कृति के प्रदेश हरियाणा में कृषि के बजट में 27 फीसदी की वृद्धि तार्किक व वक्त की जरूरत भी है। कोरोना संकट में शैक्षिक विभाजन ने कमजोर वर्गों की लाचारी को दर्शाया है। गांव-देहात में छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के लिये डिजिटल शिक्षा जरूरी हो गई है। ऐसे में सरकार का टैबलेट देना सार्थक कदम कहा जा सकता है। लेकिन यह पहल गंभीर हो, महज चुनावी कसरत न हो। महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती, सीसीटीवी कैमरों जैसे आधुनिक उपकरणों के जरिये अपराध नियंत्रण की कोशिश वक्त की जरूरत है। जाहिर बात है कि हरियाणा की अर्थव्यवस्था में सुधार से देश की आर्थिकी को भी बल मिलेगा। इसके लिये जरूरी है कि विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन के साथ प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाये।