प्रभु राम की ससुराल से लाई जा रही शालिग्राम शिलाओं का यूपी व बिहार बॉर्डर पर पहुँचते ही कुछ ऐसे हुआ स्वागत

कुशीनगर। पडोसी राष्ट्र व माता जानकी की मायका नेपाल की शालीग्राम नदी से निकाली गयी शालीग्राम की दो शिलाए मंगलवार को कुशीनगर पहुंची। यहां भव्य स्वागत के साथ ग्यारह आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शालीग्राम शिलाओ की विधिवत पूजा-अर्चना की गयी। जय श्रीराम के जयघोष से बुद्धनगरी गुंजायमान हो उठा। इस दौरान ग्यारह पंडितों द्वारा किये जा रहे शंखनाद व बजाये जा रहे घंट आकर्षण का केंद्र रहा।

गौर करने वाली बात ये है कि भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में बने रहे प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के मुख्य मंडप मे निर्मित होने वाले भगवान श्रीराम, माता जानकी, संकट-मोचन हनुमान के साथ प्रभु श्रीराम के सभी भाइयों की प्रतिमाओं का निर्माण शालिग्राम पत्थर से होना है। इसके लिए नेपाल के काली गंडकी नदी से शालीग्राम के 40 टन वजन की दो विशाल शिलाएं निकालकर दो ट्रकों के माध्यम से अयोध्या के लिए रवाना की गयी है। फूल-माला के साथ लाल, भगवा, पीला व सफेद कपडो से सजाकर इन शालीग्राम के शिलाओं को ट्रकों पर रखा गया। इसके बाद माता सीता की जन्मभूमि जनकपुर से होते हुए रामनगरी अयोध्या लाया जा रहा है। सडक मार्ग से आगे बढ रहे शालीग्राम के दर्शन पूजन के लिए रास्ते मे लोगो की भीड उमड रहे है। दोनो शिलाओ में एक का वजन 26 टन व दुसरे का वजन 14 टन है।

जानकारों ने शालीग्राम के इन शिलाओं को 6 हजार करोड़ वर्ष पुराना बताया है। कहना ना होगा कि शालिग्राम पत्थर को लाने का सफर 26 जनवरी से शुरू हुआ था। नेपाल से बिहार होते हुए शालिग्राम शिलाओं की पहली खेप मंगलवार की सुबह उत्तर प्रदेश की सीमा मे प्रवेश की। यह गोपालगंज होते हुए बुद्धनगरी कुशीनगर पहुची। कुशीनगर जिला प्रशासन इसकी सुरक्षा व स्वागत की सारी तैयारी पहले ही पूरा कर लिया था, जैसे ही शालीग्राम शिलाए बुद्धनगरी पहुची जय श्रीराम की जयघोष से पूरा कुशीनगर गुंजायमान हो उठा। यहां विधिवत पूजन अर्चन के बाद यह शिला सड़क मार्ग नेशनल हाईवे के रास्ते गोरखपुर के लिए प्रस्थान कर गया जो संतकबीरनगर, बस्ती होते हुए 2 फरवरी को रामजन्मभूमि अयोध्या पहुंचेंगी।

नेपाल की काली व शालीग्राम नदी भारत मे कहलाती है नारायणी-

शालीग्राम पत्थर नेपाल की काली गंडकी नदी मे मिलती है। काली गंडकी नदी को शालिग्रामी नदी के नाम से भी जाना जाता हैं। भारत मे यह नदी नारायणी नदी के नाम से विख्यात है। वैज्ञानिक तौर पर शालिग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है। धार्मिक आधार पर शालीग्राम पत्थर का प्रयोग परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में भगवान का आह्वान करने के लिए किया जाता है। शालिग्राम पत्थर नेपाल की पवित्र नदी शालीग्रामी नदी (काली नदी) एंव भारत के नारायणी नदी की तली या किनारों से एकत्र किया जाता है। यह गोलाकार, आमतौर पर काले रंग का अलौकिक व मनोहारी पत्थर होता है जिसे भगवान विष्णु के प्रतिनिधि के रूप में पूजते हैं। शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रसिद्ध नाम है।

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