संगम में 50 लाख भक्तों ने लगाई डुबकी, आज से शुरू होगा कल्पवासियों के घर लौटने का सिलसिला

प्रयागराज। माघमेला के पांचवें स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर अब तक 50 लाख भक्तों ने गंगा नदी में डुबकी लगाई। शनिवार शाम को ही संगम तट पर भारी संख्या में भक्त जुट गए थे। रविवार सुबह 4 बजे से स्नान का सिलसिला शुरू हुआ। देर रात तक श्रद्धालुओं द्वारा स्नान, ध्यान और दान का क्रम जारी रहा। श्रद्धालुओं के लिए 18 स्नान घाट बनाए गए। कुम्भ मेले की ही तर्ज पर स्नान घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग, जाल और घाटों पर रेत भरकर बोरियां लगाई गई हैं। वहीं, इस स्नान पर्व के बाद कल्पवासियों के घर लौटने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। हालांकि कुछ कल्पवासी अभी भी रहेंगे। वे 18 फरवरी को अंतिम स्नान पर्व शिवरात्रि के बाद घर जाएंगे।
प्रशासन के अनुसार इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि माघी पूर्णिमा पर 1 करोड़ भक्त संगम में डुबकी लगाएंगे। अब तक 50 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। मेले में काफी ज्यादा भीड़ आ जाने के कारण डायवर्जन लागू किया है। संगम में भीड़ ज्यादा बढ़ जाने के कारण अन्य स्नान घाटों की तरफ भीड़ को भेजा जा रहा है। ज्ञात हो कि 2560 बीघे में बसाए गए माघ मेले को 3 जोन और 7 सेक्टरों में बांटा गया है। स्नान के बाद घाटों पर निकलने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुश की घास भी बिछाई गई। जबकि महिलाओं के लिए सैकड़ों की संख्या में स्नान घाटों पर चेंजिंग रूम भी बनाए गए हैं।

माघी पूर्णिमा शनिवार की रात 9 बजकर 30 मिनट पर ही लग गई। यह रविवार की रात 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। यही कारण है कि शनिवार की रात से ही दूर-दराज से आए लोगों ने संगम में स्नान करना शुरू कर दिया था। माघी पूर्णिमा इस बार पुष्य नक्षत्र में शुरू हो रही है। सुबह 10 बजकर 45 मिनट से रात 12 बजकर 12 मिनट तक रवि पुष्य योग होगा। ऐसे में आयुष्मान, सौभाग्य, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि माघी पूर्णिमा में स्नान से हर मनोकामना पूरी होती है। जो श्रद्धालु आज के दिन संगम में डुबकी लगाएंगे उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से भी छुटकारा मिलेगा। माघी पूर्णिमा पर तेल और घी का दान विशेष फलदाई माना जाता है। अगर पुराणों की बात की जाए तो माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु खुद गंगा में स्नान करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगाजल के स्पर्श से मन, वचन और कर्म द्वारा किए गए हर पाप धुल जाते हैं।
माघी पूर्णिमा के दिन संगम में स्नान और दान करने से पूरे माघ मास में स्नान के बराबर ही पुण्य लाभ मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। इसलिए इस स्नान पर्व पर गंगा स्नान और आचमन विशेष फलदायी होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता भी रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं।

6 जनवरी 2023 से शुरू हुए माघ मेले में चल रहे यज्ञ अनुष्ठानों की आज पूर्णाहुति होगी। रविवार को अन्न-वस्त्र के साथ ही खीर का दान दिया जाएगा। इसके बाद हवन होगा। जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया है। इसी के साथ पूर्णिमा पर माघ मेले में मास पर्यंत कल्पवास कर रहे संत भक्त अपने-अपने शिविरों में भगवान सत्यनारायण की कथाएं सुनने के बाद अपने-अपने आश्रम, डेरे व घरों को लौट जाएंगे। श्रद्धालुओं के माघ मेले से अपने घरों की सकुशल वापसी के लिए भी व्यापक प्रबंध प्रशासन द्वारा किया गया है।
माघी पूर्णिमा के मद्देनजर संगम क्षेत्र में 4 फरवरी की सुबह से ही वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई थी। यह रोक 6 जनवरी के दोपहर 12:00 बजे तक या फिर भीड़ समाप्ति होने तक लागू रहेगी। माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की सकुशल वापसी के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने भी व्यापक प्रबंध कर रखे हैं। यूपी रोडवेज ने 1800 बसों को चलाने का निर्णय लिया है। रेलवे ने भी मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है।
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