नौ दिन नौ मंदिर: यूपी में इस जगह गिरा था माता सती का बायां कंधा, त्रेता युग से जल रही अखंड ज्योति

डेस्क। पूरे देश में आज से नवरात्रि की धूम शुरू हो गई है। लोग सुबह से ही मां के दर्शन के लिए मंदिरों में लाइन लगाकर खड़े हैं। हम आपको नवरात्रि के पावन अवसर पर नौ दिन नौ ख़ास मंदिरों की महत्ता के बारे में बताएंगे।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। यूं तो इन नौ रूपों के देश भर में कई मंदिर हैं लेकिन देश-विदेश में मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक उत्तर प्रदेश का देवीपाटन शक्तिपीठ भी है। यहां पर हर वर्ष चैत्र मास में एक महीने का मेला लगता है। यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मां पाटेश्वरी के दर्शन करते हैं।
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इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां माता सती का वाम स्कंध यानी बायां कन्धा पट सहित गिरा था। पट सहित गिरने से यहां आदिशक्ति को माता पाटेश्वरी के नाम से पूजन किया जाता है। माता पाटेश्वरी के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम देवीपाटन है। यही के नाम पर मंडल का नाम भी देवीपाटन है। यहां पूरे वर्ष देश के कोने-कोने सहित दूसरे देशों से भी श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि में एक माह का विशाल मेला लगता है। मंदिर की ऐतिहासिकता को देखते हुए प्रदेश सरकार के द्वारा लगने वाले मेले को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त है।

लोगों का मानना है कि यहां विद्यमान महाभारत के कर्ण के द्वारा स्थापित सूर्यकुंड, त्रेतायुग से जल रहा अखंड धूना और अखंड ज्योति में मां दुर्गा के शक्तियों का वास है और इतिहास गवाह है कि सिद्ध रत्ननाथ और गुरु गोरखनाथ को सिद्धि भी यहीं प्राप्त हुई थी।
इंडो-नेपाल सीमा के सुहेलवा वन के समीप यह शक्तिपीठ होने के चलते सुरक्षा के दृष्टिगत जिला प्रशासन के द्वारा यहां सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त रहते हैं। देवीपाटन मंदिर की व्यवस्था और देखरेख इस समय गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर के द्वारा की जा रही है। गोरक्ष पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर स्वयं समीक्षा करते रहते हैं।

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