मौलाना मदनी ने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण की कही बात, भड़का संत समाज

मुंबई। जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बड़ा बयान दिया है। मौलाना अरशद मदनी ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक की नव-निर्वाचित कांग्रेस सरकार को आर्थिक पिछड़ेपन पर आधारित मुसलमानों का आरक्षण बहाल करना चाहिए, जिसे बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पिछली सरकार ने खत्म कर दिया था।
मदनी ने यहां आजाद मैदान में जमीयत उलमा-ए-हिंद की तीन दिवसीय बैठक के अंतिम दिन कहा, “कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के कड़े रुख और बजरंग दल व ऐसे ही अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का वादा सराहनीय है। अब समय आ गया है कि कांग्रेस अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर मुसलमानों को दिए गए आरक्षण को बहाल करे।” उन्होंने कहा कि कर्नाटक चुनाव के परिणाम बताते हैं कि राज्य के लोगों ने नफरत के एजेंडे को खारिज कर दिया है।
अधिवेशन में बजरंग दल पर प्रतिबंध को सही ठहराने और देश विरोधी बातों का खुलकर समर्थन करने पर संत समाज आक्रोशित है। संतो ने बेहद तल्ख अंदाज में मौलानाओं को चेतावनी देते हुए कांग्रेस पर भी जमकर हमला करते हुए कहा कि सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म शब्द को इंदिरा गांधी ने जबरदस्ती जोड़ा, यह संविधान का शब्द नहीं है, कांग्रेस थूक कर चाटती है। बजरंग दल देश भक्तों का संगठन है, देश पर मरने वालों का संगठन है इसके पीछे देश का संत समाज खड़ा है।
वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने मुंबई में हुए जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अधिवेशन में हिंदू राष्ट्र की मांग का मौलानाओं द्वारा विरोध करने पर चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि उन्हें इतिहास और अपनी याददाश्त दोनों को दुरुस्त रखना चाहिए। मौलानाओं की तरफ से जिस तरह से खालिस्तान का समर्थन किया गया, वह उनकी देशद्रोही मानसिकता को दर्शाता है। साल 1975 में सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म शब्द को इंदिरा गांधी ने जबरदस्ती जोड़ा, यह संविधान का शब्द नहीं है, भारत हिंदू राष्ट्र था है और भविष्य में भी रहेगा।
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