जानें आखिर क्या है ‘सेंगोल’, भारत की आजादी से जुड़ा है इतिहास

डेस्क। भारत सरकार ने मध्यकालीन इतिहास से लिए गए राजदंड ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में रखे जाने की योजना की घोषणा की है। सेंगोल संस्कृत शब्द ‘संकु’ से लिया गया है, जिसका मतलब शंख है। सनातन धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मंदिरों और घरों में आरती के दौरान शंख का इस्तेमाल आज भी किया जाता है। हम आपको बताएंगे कि आखिर ये ‘सेंगोल’ क्या है और क्यों मचा हुआ है इस पर घमासान…

दरअसल सेंगोल की कहानी जुड़ी हुई है आजादी मिलने के स्वर्णिम दिन से। सेंगोल 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिलने के घटनाक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे भुला दिया गया था। सेंगोल एक तरह का राजदंड है जो चोल साम्राज्य में एक राजा से दूसरे राजा तक सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक हुआ करता था। आजादी के समय अंग्रेजों के आखिरी वायसराय लार्ड माउंटबैटन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से पूछा था कि सत्ता का हस्तांतरण किस तरह से होना चाहिए। तब नेहरू ने इस बारे में अपने सहयोगी सी राजगोपालाचारी से सलाह ली। राजगोपालाचारी ने सेंगोल और चोल साम्राज्य में उससे जुड़ी परंपरा के बारे में बताया। नेहरू के मान जाने के बाद राजगोपालाचारी ने एक विशेष सेंगोल बनाने के लिए तमिलनाडु के एक धार्मिक मठ से मदद मांगी।

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मठ के आदेश पर मद्रास के एक प्रसिद्ध स्वर्णकार ने चांदी का सेंगोल बनाया और उस पर सोने की परत चढ़ाई। बन जाने के बाद मठ के वरिष्ठ साधू सेंगोल को दिल्ली ले कर आए और पहले उसे माउंटबैटन को सौंपा, फिर माउंटबैटन से लेकर एक विशेष समारोह में नेहरू को सौंपा गया।

अब आपको बताते हैं कि आजादी के 75 साल बाद सेंगोल की चर्चा कैसे उठी। बीजेपी के मुताबिक, पद्म भूषण से सम्मानित नृत्यांगना डॉक्टर पद्मा सुब्रमण्यम ने जब मीडिया रिपोर्ट्स को पढ़ा तो उन्होंने यह जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा की। प्रधानमंत्री ने इन दावों की छानबीन करवाई और सारे तथ्य हासिल करने के बाद सेंगोल को नए संसद भवन में रखने का फैसला लिया।

बीजेपी के कुछ नेताओं ने यह भी दावा किया है कि कांग्रेस ने इस सेंगोल को प्रयागराज में नेहरू परिवार के घर ‘आनंद भवन’ में एक संग्रहालय में रखवा दिया था, जहां इसे नेहरू को भेंट की गई एक सुनहरी ‘वाकिंग स्टिक’ बताया गया था। इसके सालों बाद सेंगोल गुमनामी में खो गया। अब 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के समय सालों बाद एक बार फिर सेंगोल का नाम हर तरफ चर्चा में बना हुआ है। पीएम मोदी आजाद भारत की इस बहुमूल्य निशानी को नए संसद में स्थापित करने जा रहे हैं।

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