काला गेहूं कैसे रखता है आपको तंदरुस्त, जानिये इसमे मौजूद एंथोसाइनिन कैसे दिल की बीमारी में है असरदार।

कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों और बुजुर्गो को ही थी। फिलहाल वैक्सीन आ गयी है। आप को बता दे हाल ही मे कृषि वैज्ञानिकों ने बुजुर्गों की सेहत के लिए काले गेहूं की खोज की है। आपको बता दे काले गेहूं की पैदावार छोटे अनाजों का विकल्प है। ये गेहूं सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है इसमे ज्यादा मात्रा में आयरन, कार्बोहाइड्रेड व जिंक उपलब्ध रहता है। गेहूं में एंथोसाइनिन मौजूद होता है आपको बता दे सामान्य गेहूं के मुताबिक इसमे एंथोसाइनिन की मात्रा ज्यादा रहती है, जो कई रोगों से लड़ने में काफी मददगार है। सामान्य गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा करीबन 5 से 15 पास प्रति मिलियन होती है जबकि काले गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा 40 से 140 पास प्रति मिलियन पायी जाती है। कई बीमारियाँ जैसे मोटापा, कैंसर, डायबीटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम में काफी मददगार है।

दरअसल करीब 40 वर्ष पहले सिंचाई के अभाव में छोटे अनाज, सांवा, कोदो, बजरी की पैदावार काफी बड़े पैमाने पर होती थी। इसमें सभी तत्व पाये जाते है। अब इनकी पैदावार बंद हो चुकी है। अब इसके बदले में वैज्ञानिकों ने नया प्रयास किया है, वह नया प्रयास काले गेहूं है।

कैसे उगता है काला गेहूं।

कृषि विज्ञान केन्द्र बख्शा में स्थित है। इसमे एक एकड़ में सुपर सीटर से बुआई कर काले गेहूं का बीज तैयार किया जाता है। यह बीज किसानों को निर्धारित मूल्य पर उपलब्ध कराया जायेगा। ताकि किसान ये बीज अपने खेत में पैदा कर सकें।
 

आपको बता दे काले गेहूं की बुआई का वक्त सामान्य गेहूं की तरह है। इसकी पैदावार 10 से 12 कुंतल प्रति एकड़ है। इसकी पैदावार दो दर्जन किसानों को देकर इसे तैयार किया  जायेगा।
काला गेहूं उन लोगो के लिए रामबाण इलाज है जो दवाइया खा कर थक चुके है और उनके पास अब और कोई विकल्प नहीं है। यह गेहूं सामान्य गेहूं से ज्यादा पोष्टिक है।

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