क्या आप किसी भूतप्रेत, शैतानी शक्ति से पीड़ित है तो अवश्य करें यह साधना…!

आप ने देखा होगा लोग मजारों और मंदिरों पर वर्षों चक्कर लगाने के बाद भी पीछा नही छूटता
आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ)
ज्योतिषीय सलाह के लिए सम्पर्क कर सकते हो 9131366453
किसी भी व्यक्ति पर मुठ, या उसके शरीर पर किसी भी प्रकार का काला जादू , टोना-टोटका तांत्रिक प्रयोग किया हुआ है।
भूत प्रेत, चांडाल, शैतानी शक्ति जींद या अन्य बुरी शक्ति से पीड़ित है। आप का पैर गलत जगह पड़ गया है। आप के शरीर में कोई आत्मा आती है, जिससे आप का शरीर दुःखी ओर जीवन नर्क समान बनता जा रहा है।
ऐसी बीमारी जिसका इलाज करते करते डॉक्टर भी हार मान गये है तो कीजिये


वीर भैरव साधना
कई लोगों के रोजाना फ़ोन और मेसिज आते है, और अपनी अक्सर बताते है कि हम ऐसी समस्याओं पीड़ित है, और अनेक प्रकार के ज्योतिष, तांत्रिकों से इलाज़ कराया, लाखो रुपिया ख़र्च करने के बाद भी समस्या खत्म नही हुई है।
आप लोगों के आग्रह पर तंत्र जगत की दुर्लभ गोपनीय साधना देने जा रहा हूँ। किसी भी जातक को अगर ऊपर बताई अनुसार कोई भी परेशानी है तो ये साधना अवश्य करें, और अपने जीवन को खुश हाल बनायें।
अज्ञानता वश छोटी मोटी क्रिया सीखने के बाद लोग अपने आप को तांत्रिक, अघोरी या औघड़ कहने लगते है, काले लाल कपड़े पहनकर गले में रंगीन कांच की मालाएं डाल लेते है और अपना रूप डरावना कर लेते है, और रोगी या रोगी के परिजन उनके बहकाने में आ जाते है, और वो लोग पूर्ण ज्ञान नही होने पर शैतानी दैत्य शक्तोयों को छेड़ देते है, ओर उनकी इस हरक़त से रोगी (जातक) का जीवन नर्क बन जाता है।
इसके लिए क्या करना चाहिए।
सबसे पहले जो आवश्यकता है। रोगी की  बात सुनना चाहिये उसके बाद अपने गुरु, ईस्ट के बल पर ये सोचना चाहिए कि आखिर रोगी की प्रॉब्लम क्या है।
तंत्र के हर क्षेत्र में
शैतान, ब्रह्म राक्षस, भूतप्रेत, डाकिनी साकनी, चुड़ैल कच्चे कलुआ, मुठ ओर भी अनेक दैत्य पीड़ित शक्तियाँ है, और ये सभी वीरों पर आधारित होती है।

जैसे हनुमान जी के भी वीर होते है, उसका ज्ञान होना अनिवार्य है तभी जाकर ऐसी क्रियाओं से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करना चाहिये।
मेरी तरफ से उपहार स्वरूप एक दुर्लभ क्रिया..
साधना विधान को गोपनीय रखा गया है।
भगवान काल भैरव के 52 स्वरूपों में से अत्यंत बलशाली उग्र रूप है वीर भैरव।
वीर भैरव अपराजेय है। इसके सामने कोई भी शक्ति ठहर नही सकती।

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