आइये जानते है दीपावली में दीये और लक्ष्मी पूजन एवं भोजन के महत्व के बारे में॥

अंधेरे से रोशनी का प्रतीक है दीपावली का त्योहार। हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा त्योहार दीपावली माना जाता है। दिवाली में दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कहानियां हैं। हर कहानी का अपना मतलब है। हिंदू मान्यता के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर आए थे। तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। दिवाली में हर चीज़ के पीछे कुछ विज्ञान तो ज़रूर है, दिये जालना, दिवाली में स्वादिष्ट भोजन। लेकिन क्या कभी हमने सोचा के हम जो करते है वो क्यूं करते है? धनतेरस में हम धन्वन्तरी की पुजा करते है मगर क्यू करते है? क्या है धन्वन्तरी?

आप को बता दे धन्वन्तरी भगवान विष्णु के अवतार है इनको दवाइयो का देवता माना जाता है, वही दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का मतलब आप घर की लक्ष्मी की पुजा करिए जो हर दिन आप का ध्यान रखती है। दीपावली का दिन सबसे शुभ माना गया है। दीपावली अंधेरे में रोशनी का प्रतीक है।  

चलिये आज बात करते है हम दीये क्यू जलाते है?

क्या दीयो का काम सिर्फ रोशनी देना है? आप को पता है दुनिया में सबसे ज्यादा मौते मलेरिया की वजह से होती है। दीपावली ठंड में आती है और ठंड में उमस और तापमान कम हो जाता है जिसकी वजह से मच्छरो का आगमन तेज़ी से बढ़ जाता है, पहले के जमाने में जब मोरटीन और ओडोमस जैसी चीजे नहीं थी तब लोग मिट्टी के दीप में पाँच मिश्रण का तेल जिसमे गरी, महुआ, कैस्ट्रॉल, नीम और घी मिला कर दीप जलाते थे जिसको पांच दीपों में तेल जला कर दीप जलाते थे। जो कि लोगो को बीमारियो से बचाते थे।

दिवाली पर हम घी से बनी चिजे क्यू खाते है?

आप को बता दे घी को आयुर्वेद में खाने का भगवान कहा जाता है, मगर कुछ लोगो का मानना है के घी खाने से वजन बढ़ता है।  हांलाकि यह सब कहने की बात है, यह तो आप पर निर्भर करता है आप कैसा घी खाते है। घी हमारी सेहत के लिए काफी अच्छा माना गया है, घी से कब्ज, गैस जैसी बीमारिया नहीं होती। घी हमारे शरीर को ठंडा रखता है, और हमे ज्यादा एनर्जी देता है। अगर आप सही मात्रा में घी का उपयोग करेंगे तो यह आप को मोटापा नहीं बल्कि स्वस्थ वर्धक रहेगे।

Related Articles

Back to top button