कैबिनेट ने फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के लिए केंद्र प्रायोजित योजना को अगले 2 वर्षों तक जारी रखने की मंजूरी दी, निर्भया फंड से उपलब्ध करायी जाएगी धनराशि

केंद्रीय हिस्से की धनराशि निर्भया फंड से उपलब्ध करायी जाएगी। यह योजना 02 अक्टूबर, 2019 को शुरू की गई थी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi) ने 389 विशेष पोक्सो न्यायालयों (POCSO Courts) सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (Fast Track Special Court) को केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) के रूप में 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2023 तक जारी रखने की मंजूरी दी है और इसके लिए कुल 1572.86 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्से के रूप में 971.70 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 601.16 करोड़ रुपये) की धनराशि निर्धारित की गयी है। केंद्रीय हिस्से की धनराशि निर्भया फंड से उपलब्ध करायी जाएगी। यह योजना 02 अक्टूबर, 2019 को शुरू की गई थी।  

सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को हमेशा सर्वाधिक महत्व दिया है। बालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार ने पहले ही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। बारह वर्ष से कम उम्र की नाबालिग लड़कियों और सोलह वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के साथ दुष्कर्म  की घटनाओं ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था। इस तरह की घटनाओं और लंबे समय तक चलने वाली अदालती प्रक्रिया को देखते हुए दोषियों के परीक्षण के लिए एक समर्पित न्यायालय तंत्र बनाने की आवश्यकता थी, जो मुकदमे में तेजी ला सके और यौन अपराधों के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान कर सके।

ऐसे मामलों में अधिक कड़े प्रावधान, त्वरित सुनवाई और मामलों के निपटान के लिए, केंद्र सरकार ने “आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018” लागू किया और दुष्कर्म  के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया। इससे फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (एफटीएससी) की स्थापना हुई।

फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय समर्पित अदालतें हैं, जिनमें अदालती प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाती है। इन न्यायालयों की अंतिम फैसले देने की दर नियमित अदालतों की तुलना में बेहतर है और ये न्यायालय अदालती प्रक्रिया तेज गति से पूरा करते हैं। असहाय पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करने के अलावा, यह व्यवस्था  यौन अपराधियों के खिलाफ निवारक ढांचे को मजबूत करती है।

बता दें कि वर्तमान में ये न्यायालय 28 राज्यों में कार्यरत हैं और सभी 31 राज्यों, जो योजना में शामिल होने के पात्र हैं, में इनके विस्तार का प्रस्ताव है। यह देश के दूरदराज क्षेत्रों सहित पूरे देश में यौन अपराधों की असहाय पीड़ितों को समयबद्ध न्याय प्रदान करने के लिए राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर रहा है।

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