चैत्र नवरात्र आज से, मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

डेस्क। बुधवार से देशभर में चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन ही सुबह से दिल्ली समेत कई राज्यों में मंदिरों की भीड़ जुटने लगी। हिंदी नववर्ष नवसंवत्सर का आरंभ चैत्र शुक्ल पक्ष यानी उजास पक्ष (अजोरिया) में शक्ति की अधिष्ठात्री परीबा मां जगदंगा की पूजा-आराधना के काल नवरात्र के साथ होता है।

दिल्ली के प्रसिद्ध कालका जी और झंडेवालान मंदिर में देवी के दर्शन के लिए देर रात से ही भक्तों की लाइन लगने लगी तो मुंबई के मुंबादेवी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाणे में श्री अंबे माता चैत्र नवरात्रि महोत्सव के दौरान शोभा यात्रा में हिस्सा लिया। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में भी मां दुर्गा के तमाम छोटे-बड़े मंदिरों में भी पहुंचे भक्तों ने माता की आरती और पूजा-अर्चना की।

तमाम मंदिरों में चैत्र नवरात्र महोत्सव आज सुबह की आरती के साथ ही पूरी धूमधाम के साथ शुरू हो गए। मंदिरों में मां भगवती की पूजा और गुणगान के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। प्रसिद्ध मंदिरों में राष्ट्र कल्याण व सुख शांति के लिए महायज्ञ होगा और मां की अखण्ड जोत जलेगी। वहीं मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया है और उनके आसपास के क्षेत्र में प्रकाश की उत्तम व्यवस्था की गई है। कई मंदिरों में नवरात्र के दौरान रामचरित मानस का पाठ भी होगा।

नवसंवत्सर 2080 को आरंभ इसी दिन से माना जाएगा। वर्ष पर्यंत इसका ही पूजन-अनुष्ठान, यज्ञ विधान आदि के संकल्पादि में विनियोग होगा। इस संवत् के राजा बुध व मंत्री शुक्र हैं। श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय पांडेय के अनुसार विक्रम संवत् 2080 के आरंभ होने के साथ कलियुग के 5124 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। इसके साथ नूतन वर्ष का आरंभ भी हो जाएगा। कारण यह कि सृष्टि के आदि काल में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही दिन, मास, वर्ष,युग आदि की एक साथ प्रवृत्ति हुई है। भारतीय कालगणना परंपरा में प्रत्येक वर्ष का नामकरण किया जाता है। उस वर्ष के राजा, मंत्री, दुर्गेश, धनेश, रसेश आदि का सुस्पष्ट विधि के द्वारा निर्धारण करते हुए वर्शपर्यंत उनके फलों की विवचेना होती है।

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