सेंट्रल नैनी जेल में चल रही है हुनर की पाठशाला, महिलाएं बन रही हैं हुनरमंद

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की जेलों में बंदियों में तालीम देने के बाद अब उन्हें हुनरमंद बनाने की पहल भी योगी सरकार ने की है। प्रयागराज की सेंट्रल नैनी जेल के बंदियों और नारी निकेतन की महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए सरकार की तरफ से उन्हे स्किल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना के तहत पहले चरण में 104 बंदियों और नारी निकेतन की महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रयागराज की सेंट्रल नैनी जेल में निरुद्ध बन्दियो को प्रदेश सरकार शिक्षित करने के साथ अब उन्हें आत्म निर्भर बनने का अवसर भी दे रही है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना के अंतर्गत इस जेल में निरूद्ध 50 बंदियों को कौशल विकास के व्यावसायिक कोर्स की ट्रेनिंग शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के प्रयागराज के जिला समन्वयक चंद्रकांत सिंह बताते हैं कि इन सभी बंदियों का 3 माह का ट्रेनिंग का सत्र शुरू कर दिया गया है।
इस प्रशिक्षण के पहले बैच में 25 महिला बंदी और 25 पुरुष बंदी शामिल है। इन्हें लॉजिस्टिक और अपैरल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये दोनों कोर्स 400 घंटे के हैं। इनकी ट्रेनिंग मई में पूरी हो जायगी जिसके बाद इन बंदियों को कौशल विकास मंत्रालय की तरफ से प्रमाणपत्र भी दिए जायेंगे।
नारी निकेतन गृह की 54 महिलाओं को मिल रहा है प्रशिक्षण:
राज्य सरकार द्वारा बनाये गए नारी निकेतन में रह रही लड़कियों और महिलाओं को भी स्किल की ट्रेनिंग दी जा रही है। जिला समन्वयक चंद्रकांत सिंह बताते हैं कि प्रयागराज के खुल्दाबाद में स्थित नारी निकेतन गृह में 54 लाभार्थियों का इसके लिए चयन किया गया था जिनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी गयी है। इन्हें फैशन एंब्रॉयडरी की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह ट्रेनिंग भी 3 महीने की है जिसका पहला बैच मई में पूरा हो जाएगा। इसके बाद इन्हें कौशल विकास मंत्रालय की तरफ से प्रमाणपत्र दिए जायेंगे ।
योगी सरकार का प्रयास है कि बंदी हो या नारी निकेतन में रह रही महिलाएं ये सभी रचनात्मक कार्यों का हिस्सा बनें। यह प्रशिक्षण उन्हें उनके भविष्य को बेहतर बनाने और सम्मान जनक जीवन जीने के काम आ सके । सेंट्रल नैनी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशि कान्त सिंह कहते हैं कि जेल से रिहाई के बाद इन बंदियों को रोजगार मिलना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में जेल से स्किल और स्वरोजगार की ट्रेनिंग हासिल कर ये बंदी अपने और महिलायें अपने परिवार के भरण पोषण के लिए खुद अपना रोजगार भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा रिहाई के बाद अपने हुनर के माध्यम से ये समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकेंगे। यही सरकार की कोशिश है।
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