जानिए क्या है e-RUPI, यह कैसे करेगा?, PM मोदी ने की है इसकी शुरुआत

प्रधानमंत्री ने कहा है कि ‘ई-रुपी’ वाउचर देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में डीबीटी को और भी अधिक प्रभावकारी बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा एवं डिजिटल गवर्नेंस को एक नया आयाम देगा

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘ई-रुपी’ लॉन्‍च किया है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि ‘ई-रुपी’ वाउचर देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में डीबीटी को और भी अधिक प्रभावकारी बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा एवं डिजिटल गवर्नेंस को एक नया आयाम देगा। इससे लक्षित, पारदर्शी और लीकेज मुक्त वितरण में सभी को बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ई-रुपी’ इस बात का प्रतीक है कि भारत किस तरह से लोगों के जीवन को प्रौद्योगिकी से जोड़कर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि यह भविष्यवादी या अत्याधुनिक सुधार पहल ऐसे समय में की गई है जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर ‘अमृत महोत्सव’ मना रहा है।

क्या है ई-रुपी?

‘ई-रुपी’ सही अर्थों में व्यक्ति-विशिष्ट और उद्देश्य-विशिष्ट डिजिटल पेमेंट सॉल्‍यूशन है। ‘ई-रुपी’ दरअसल डिजिटल पेमेंट के लिए एक नकद रहित (कैशलेस) और संपर्क रहित साधन है। ई-रुपी’ को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से विकसित किया है। ‘ई-रुपी’ का मकसद सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के दुरुपयोग को रोकना है। इसके जरिए यह सुनिश्चित होगा कि लाभ उस तक ही पहुंचेगा, जिस तक पहुंचना चाहिए। इसे लाभार्थियों के मोबाइल फोन पर क्यूआर कोड या एसएमएस के रूप में ट्रांसफर किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर आपने एक प्रोडेक्ट खरीदा और खरीदारी पर वाउचर मिला. ई-आरयूपीआई में आपको वाउचर को हार्ड कॉपी लेकर जाने की जरूरत नहीं होगी. वाउचर आपके मोबाइल फोन पर क्यूआर कोड या एसएमएस के रूप में भेजा जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में डिजिटल लेनदेनों के विकास से गरीब और वंचित, छोटे उद्यम, किसान और आदिवासी आबादी सशक्त हुई है। यह जुलाई में 6 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड 300 करोड़ यूपीआई लेनदेनों से महसूस किया जा सकता है। साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा, भारत ने साबित किया है कि वह तकनीक को अपनाने और उससे जुड़ने में दुनिया में किसी से पीछे नहीं है। उन्होंने कहा कि नवाचार, सेवाएं देने में तकनीक के उपयोग की बात हो तो भारत दुनिया के बड़े देशों के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर नेतृत्व की क्षमता रखता है।

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