इस साल GDP में 7.7 फीसद गिरावट का अनुमान, अगले साल 11 फीसद की हो सकती है बढ़त

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश करते हुए कहा कि 2030 का सतत विकास एजेंडा 17 सतत विकास लक्ष्‍यों के साथ भारत के लिए एक समन्वित विकास एजेंडा है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और जलवायु संबंधी पहलुओं को शामिल किया गया है।  आज बजट सत्र के पहले दिन 29 जनवरी को वित्त मंत्री ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इस बार कोरोना संकट की वजह से आर्थिक समीक्षा का कागजों पर प्रकाशन नहीं हुआ। आर्थिक समीक्षा 2020-2021 को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में सांसदों को उपलब्ध कराया गया। सर्वेक्षण के मुताबिक, पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 7.7 फीसद संकुचन हुआ और अगले वर्ष में इसमें V शेप के रिकवरी की उम्मीद है। इसके अलावा 2021-22 के वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि में 11 फीसद का विस्तार नजर आ रहा है।

केन्द्रीयमंत्रीनिर्मलासीतारमणनेपेशकीआर्थिकसमीक्षा

समीक्षा के अनुसार भारत ने सतत विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) को अपनी सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों में मुख्‍य रूप से शामिल करने के लिए बहुत से कदम उठाये हैं :-

  1. स्‍वैच्छिक राष्‍ट्रीय समीक्षा (वीएनआर) : सतत विकास संबंधी संयुक्‍त राष्‍ट्र के उच्‍च स्‍तरीय राजनीतिक फोरम (एचएलपीएफ) को प्रस्‍तुत स्‍वैच्छिक राष्‍ट्रीय समीक्षा (वीएनआर) में सतत विकास लक्ष्‍यों की उसके कार्यक्रमों और उससे मिलने वाले फीडबैक के आधार पर समीक्षा करने और उस पर आगे कार्रवाई करने का प्रावधान है। इस प्रक्रिया में कॉरपोरेट सोशल रिस्‍पोंसिबिलिटी के तहत होने वाले खर्च के संदर्भ में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी का भी प्रावधान है।
  2. सतत विकास लक्ष्‍यों का स्‍थानीयकरण : राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों ने अपने विशिष्‍ट संदर्भ में सतत विकास लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए विशि‍ष्‍ट संस्‍थागत संरचना स्‍थापित की है। कुछ राज्‍यों में हर विभाग और जिला स्‍तर पर नोडल तंत्र स्‍थापित किए हैं, ताकि इनके समन्‍वय, समायोजन और आंकड़ों के प्रबंधन को अधिक सटीक और अनुमान योग्‍य बनाया जा सके।

समीक्षा में कोविड-19 महामारी के कारण उत्‍पन्‍न अप्रत्‍याशित संकट के चलते सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान की गई है और कहा गया है कि सतत विकास भारत की विकास रणनीति का मुख्‍य बिन्‍दु बना रहेगा।

आर्थिकक्षेत्रमेंवीआकारकीरिकवरी

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश करते हुए कहा कि अप्रत्याशित कोविड-19 महामारी से सम्बद्ध लॉकडाउन और उसके बाद उत्पन्न हुई चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था का आधारभूत ढांचा क्षेत्र तेजी से रिकवरी की राह पर है।

समीक्षा में कहा गया है कि देश में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की वृद्धि सरकार की प्रमुख प्राथमिकता रही है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में मजबूत कच्‍चे माल की व्‍यवस्‍था करना और तैयार माल बेचना (फॉरवर्ड-बैकवर्ड लिंकेज) से सभी वाकिफ हैं। अत: अधिक तेज और समावेशी आर्थिक विकास के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश सर्वोत्‍कृष्‍ट है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि विश्‍व स्‍तर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन के लिए वित्‍त वर्ष 2020-25 के लिए सरकार ने राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) की शुरुआत की है। यह अपने तरह की पहली पहल है, जिससे अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी आएगी, रोजगार के बेहतर अवसर पैदा होंगे, भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की प्रतिस्‍पर्धात्मकता बढ़ेगी। यह केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकारों और निजी क्षेत्र द्वारा संयुक्‍त रूप से वित्‍त पोषित है। एनआईपी की शुरुआत 2020-2025 की अवधि के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये (1.5 खरब डॉलर) के प्रस्‍तावित बुनियादी ढांचा निवेश से की गई। एनआईपी में ऊर्जा, सड़क, शहरी बुनियादी ढांचा, रेलवे जैसे क्षेत्रों का प्रमुख हिस्‍सा है।

भारतमेंएफडीआईकाप्रवाह:

समीक्षा के अनुसार, वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल के बावजूद अप्रैल-सितंबर, 2020 के दौरान सालाना आधार पर भारत के सेवा क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह 34 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी के साथ 23.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। इस बढ़ोतरी को कम्प्यूटर और हार्डवेयर उप-क्षेत्र से अच्छा समर्थन मिला, जिसमें समान अवधि के दौरान एफडीआई प्रवाह में 336 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। समीक्षा के अनुसार, खुदरा व्यापार, कृषि सेवा और शिक्षा जैसे उप-क्षेत्रों में भी एफडीआई प्रवाह में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई। विश्व निवेश रिपोर्ट 2020 के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा एफडीआई हासिल करने वाले देशों की सूची में भारत 2018 के 12वें पायदान से सुधरकर 2019 में 9वें पायदान पर पहुंच गया।

सकलमूल्यसंवर्धन (जीवीए):

समीक्षा के अनुसार, भारत के जीवीए में 54 प्रतिशत और एफडीआई प्रवाह में 80 प्रतिशत योगदान से वर्तमान में सेवा क्षेत्र के महत्व का पता चलता है। 33 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में से 15 के सकल राज्य मूल्य संवर्धन में क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से ज्यादा है, वहीं दिल्ली और चंडीगढ़ में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है। इसके अनुसार, जीएसवीए में तुलनात्मक रूप से सेवा क्षेत्र की कम हिस्सेदारी वाले राज्यों में हाल के वर्षों में सेवा क्षेत्रों में मजबूत बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कुल निर्यात में सेवा क्षेत्र की 48 प्रतिशत हिस्सेदारी है और हाल के वर्षों में इसने वस्तुओं के निर्यात को पीछे छोड़ दिया है।

पर्यटनक्षेत्र :

समीक्षा के अनुसार, कोविड-19 की रोकथाम के चलते यात्रा प्रतिबंध, उपभोक्ता आत्म-विश्वास में कमी और वैश्विक संघर्ष के साथ वैश्विक यात्रा और पर्यटन पर खासा नकारात्मक असर पड़ा है और वर्तमान में जारी टीकाकरण अभियान के चलते इसके पुनरुत्थान का अनुमान है। ई-पर्टयक वीजा की व्यवस्था 2014 के 46 देशों से बढ़कर 169 देशों में होने से ई-वीजा पर भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 2015 के 4.45 लाख से बढ़कर 2019 में 29.28 लाख हो गई है।

आईटीबीपीएमसेवाएं :

समीक्षा के अनुसार, वर्ष 2020-21 में कई प्रमुख संरचनागत सुधार हुए हैं। दूरसंचार से संबंधित नियमों को आईटी-बीपीएम से अलग कर दिया गया और ई-कॉमर्स के लिए उपभोक्ता सुरक्षा नियम पेश किए गए। आईटी-बीपीएम उद्योग ने नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देने के लिए ओएसपी दिशानिर्देशों और न्यू अम्ब्रेला एंटिटी को लचीला बनाए जाने जैसे नीतिगत सुधारों का भी स्वागत किया है।

स्टार्टअपइकोसिस्टम :

समीक्षा के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में विकास देखने को मिल रहा है। यह इकोसिस्टम मुश्किल हालात से तेजी से उबरा है और बीते साल यूनिकॉर्न की सूची में रिकॉर्ड 12 स्टार्ट-अप ने जगह बनाई है, जिससे इनकी कुल संख्या बढ़कर 38 हो गई है।

नौवहन :

समीक्षा में बंदरगाहों तक जहाजों के आने व वापस जाने में लगने वाले समय में कमी का उल्लेख किया गया, जो 2010-11 के 4.67 दिन से लगभग आधा होकर 2019-20 में 2.62 दिन रह गया है। अंकटाड के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर मध्यवर्ती जहाज के लौटने में लगने वाले 0.97 दिन से पता चलता है कि भारत में बंदरगाहों की दक्षता में सुधार की अभी काफी गुंजाइश है।

अंतरिक्षक्षेत्र :

समीक्षा के अनुसार, पिछले छह दशक में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने अच्छा विकास दर्ज किया है। भारत ने 2019-20 में अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर लगभग 1.8 अरब डॉलर व्यय किए हैं। हालांकि, देश इस क्षेत्र में अभी भी अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों से काफी पीछे है, जो लगभग छह गुना ज्यादा व्यय करते हैं। भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र निजी कंपनियों को जोड़ने और नवाचार व निवेश को आकर्षित करने जैसे कई नीतिगत सुधारों से गुजर रहा है।

नियमोंऔरप्रक्रियागतसुधारोंकेसरलीकरणकासुझाव

समीक्षा में कहा गया है कि भारत में प्रशासनिक प्रक्रियाएं अक्‍सर प्रक्रियागत देरी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में नियम संबंधी अन्‍य जटिलताओं से भारी होती है, जिसके कारण वे सभी साझेदारों के लिए प्रभावहीन और कठिन बना देती हैं। समीक्षा में इस समस्‍या को उजागर किया गया है और इस प्रशासनिक चुनौती का समाधान निकालने के तरीकों की सिफारिश की गई है।

परिसम्पत्तिगुणवत्तासमीक्षाकरानाज़रूरी

आर्थिक समीक्षा के अनुसार, राहत सहायता प्रदान करने के समय पैदा हुई विनियामक और बैंक के बीच अस्पष्ट जानकारी की समस्या के कारण राहत सहायता समाप्त होने के तुरंत बाद, परिसम्पत्तियों की गुणवत्ता समीक्षा कराना ज़रूरी है। केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की। समीक्षा के अनुसार, ऋण की वापसी के लिये कानूनी ढांचा मज़बूत किया जाना चाहिये। परिसम्पत्तियों के पुनर्गठन के लिये नियम आसान बनाने वाले बैंकों के लिये नियामक राहत प्रदान करने के कारण अब उनकी परिसम्पत्तियों को डूबे हुए ऋणों की श्रेणी में नहीं रखा जायेगा और उनकी परिसम्पत्तियों को डूबी हुई परिसमप्त्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जायेगा।

नवोन्मेषपरअधिकध्यानदेनेकीजरूरत
केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2007 में वैश्विक नवोन्‍मेष सूचकांक के अस्तित्‍व में आने के बाद 2020 में पहली बार भारत 50 शीर्ष नवोन्‍मेषी देशों में शामिल हो गया। 2020 में भारत का रैंक सुधरकर 48 पर आ गया, जो 2015 में 81 पर था। भारत मध्‍य और दक्षिण एशिया में पहले नम्‍बर पर और निम्‍न मध्‍यम आय वर्ग की अर्थव्‍यवस्‍थाओं में तीसरे नम्‍बर पर रहा।

वाणिज्यवस्तुव्यापारघाटाकमहुआ

केन्द्रीय वित्त मंत्री एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि विश्व की आर्थिक महामंदी के बाद से वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर सबसे बद्तर मंदी को जन्म दिया है, लेकिन इसका प्रतिकूल आर्थिक असर प्रारंभिक अनुमानों से काफी कम रहने की उम्मीद है। इस आर्थिक संकट की वजह से वैश्विक कारोबार में काफी गिरावट आई है और वस्तुओं की कीमतें कम हुई है तथा बाहरी वित्तीय स्थितियां काफी प्रतिकूल हुई है जिसके कारण विभिन्न देशों की मुद्राओं और मौजूदा व्यापार संतुलन पर अलग-अलग असर हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में वैश्विक वाणिज्य वस्तु व्यापार घाटा 9.2 प्रतिशत कम होने का अनुमान है।

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