यूपी के कई हिस्सों में लगातार बारिश हो रही है…पढ़िए मौसम की पूरी जानकारी
पूर्वी उत्तर प्रदेश और इससे सटे भागों के ऊपर हवाओं में पहले से बना चक्रवाती क्षेत्र इसी निम्न दबाव में मिल गया है।


दक्षिण पश्चिम मॉनसून 18 जून को उत्तरी अरब सागर के कुछ और भागों, गुजरात के पूर्वी क्षेत्रों में अधिकांश स्थानों पर, सौराष्ट्र और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों के साथ-साथ मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के कुछ और भागों में आगे बढ़ा है।
मॉनसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) आज यानि शुक्रवार को 21.5° उत्तरी अक्षांश/ 60° पूर्वी देशांतर, जूनागढ़, दीसा, गुना, कानपुर, मेरठ, अंबाला और अमृतसर तक पहुंच गई है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनूसन के अगले 24 घंटों में अरब सागर, गुजरात के बाकी हिस्सों, दक्षिणी राजस्थान के कुछ और भागों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के शेष हिस्सों में भी दस्तक दे सकता है।
गंगीय पश्चिम बंगाल और इससे सटे भागों के ऊपर बने चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के प्रभाव से दक्षिण-पश्चिमी बिहार और इससे सटे दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपर एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हो सकता है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश और इससे सटे भागों के ऊपर हवाओं में पहले से बना चक्रवाती क्षेत्र इसी निम्न दबाव में मिल गया है।
पश्चिमी राजस्थान से हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दक्षिणी बिहार, झारखण्ड और गंगीय पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी के उत्तर पूर्वी भागों के बीच एक ट्रफ रेखा बन गई है। यह ट्रफ उत्तर प्रदेश पर बने निम्न दबाव के बीच से होकर गुजर रही है।
दक्षिणी बंग्लादेश और इससे सटे भागों के ऊपर भी एक सर्कुलेशन बना हुआ है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 3.1 किमी से लेकर 5.8 किमी के बीच है।
पश्चिमी तटों पर मॉनसून सीजन में बनने वाली ऑफ शोर ट्रफ दक्षिणी गुजरात के तटीय भागों से लेकर उत्तरी केरल तक एक ट्रफ बनी हुई थी, जो अब कम होकर दक्षिणी महाराष्ट्र से केरल के तटीय भागें तक सीमित हो गई है।
पश्चिमी विक्षोभ 72° पूर्वी देशांतर और 22°उत्तरी अक्षांश पर क्षोभमण्डल के मध्य और ऊपरी हिस्सों पर पश्चिमी हवाओं के रूप में बना हुआ है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 5.8 किमी है।
दक्षिणी पाकिस्तान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। यह समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर तक फैला हुआ है और ऊंचाई के साथ दक्षिण की ओर झुका हुआ है।
दक्षिणी हरियाणा और इससे सटे भागों के ऊपर बना चक्रवाती सिस्टम समुद्र तल 0.9 किमी की ऊंचाई पर है। यह सिस्टम अब उत्तरी राजस्थान और इसके आसपास के भागों पर पहुंच गया है।
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