किसानों की ‘खेत से लेकर बाजारों तक’ से जुड़ी हुई कृषि समस्याएं……

आपको पता ही होगा हाल ही में भारत सरकार द्वारा लाया गया नया कृषि कानून जिसके विरोध में जगह-जगह पर किसानों और विपक्षों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी विवाद हो रहा है। जिसके कारण कृषि कानून के विरोध भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया और इस कृषि कानून को किसानों के विरोध में बताया। वही भारत सरकार इस बिल को किसानों के पक्ष में सही ठहराने की कोशिश कर रही है, तो वहीं विपक्ष ने इस कृषि कानून को काला कानून बताते हुए संसद में जमकर हंगामा किया और कृषि कानून को भारत सरकार द्वारा वापस न लेने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही। अनुभवियों का मानना है की भारत सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून के अनुसार मंडी व्यवस्था चौपट हो जाएगी जिसके कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य पर असर पड़ेगा। उदाहरण के तौर सत्र 2019-20 में मक्के न्यूनतम समर्थन का मूल्य 1760 था, गेंहूँ का 1925 और धान का 1815 रु था। जो वर्तमान सत्र में भी वही पुराना मूल्य है कुछ फसल को छोड़कर। 



किसानों के खेत की समस्याएँ

वर्तमान समय में धान की कटाईं हो रही है, तो वहीं गेंहू की बुवाई नजदीक है, ऐसे में किसान को अच्छे खाद एवं बीज की आवश्यकता होती है। जो उसको समय से सस्ते दामों पर उपलब्ध नहीं होता है, क्योंकि बिचौलियों के चलते खाद एवं बीज मांग को देखते हुए पहले ही कालाबाजारी करने के लिए स्टोर कर लिया जाता है। ऐसे में किसान मजबूर होकर महंगे दामों में समय से बुवाई करने के लिए खाद एवं बीज की खरीददारी करता है।

किसान जैसे-तैसे कर के किसी तरह खेत मे तैयार करता है, और तैयार फसल की कटाई-मड़ाई करके अपने घर लाता है। तब किसान अपनी आवश्यकता अनुसार अनाज को रोककर शेष अनाज को नकदी के लिए बाजार में उतरता है, तो उसको अच्छे मूल्य नहीं मिलते है। जिसके कारण किसान की खेती कई हद तक घाटे की सौदा साबित होती है।

भारतीय कृषि की वर्तमान स्थिति

1. वर्तमान समय मे भारत विश्वभर में कृषि उत्पादन के क्षेत्र में द्वितीय स्थान पर है।

2. भारत में कृषि क्षेत्र के जीडीपी का 0.3% भाग कृषि शोध पर खर्च किया जाता है, जबकि अमेरिका में 40% किया जाता है।

3. 2016-17 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1% दर्ज की गई।

4. देश के कुल श्रमशक्ति का लगभग 45% भाग कृषि और अन्य कृषि उपयोगों से ही अपनी आजीविका चलता है।

5. भारत में कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा बेरोजगारी मौसमी और छिपी प्रकार की बेरोजगारी पाईं जाती है।

6. वर्ष 2014-15 में देश के निर्यात में कृषि एवं संबंधित वस्तुओं का हिस्सा 12.5% था।

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